संक्षिप्त विधि या पंचोपचार पूजन-: इस पूजन विधि मेँ पाँच मुख्य उपचार (कर्तव्य) हैं।सबसे पहले भगवान को आसान देते हुए भक्ति भाव एवं मंत्रो द्वारा भगवान का ध्यान किया जाता है।
आवाहृन करें, स्नान करा कर वस्त्र अर्पित करें-: आवाहन का अर्थ है पास लाना। जिस देवता की पूजा की जा रही है उससे निवेदन किया जाता है कि वे हमारे मूर्ति में निवास करें तथा तथा हमारी पूजा स्वीकार कर हमें आत्मिक बल एवं आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करें हमारी मनोकामना पूर्ण करें। भगवान को स्नान कराने तथा वस्त्र पहनाने के उपरांत चन्दन, केसर, रोचन, आदि (अष्ट गंध) अनामिका उंगली द्वारा अर्पित करें – भगवान को लगाएँ – रोली और अक्षत लगाएँ।
पुष्पम समर्पयामि – प्रभु के चरणों मेँ ताजे पुष्प अर्पित करें सभी देवों के लिए कुछ विशेष पुष्प भी हैं जिन्हें अवश्य चढ़ाएँ। भगवान को माला पहनायें।गणेश जी को दूर्वा , शंकर जी को बिल्व पत्र, दुर्गा जी को लाल पुष्प (गुलाब), विष्णु भगवान को कमल, और सूर्य देव को लाल कनेर ( सभी को सफ़ेद पुष्प भी चढ़ा सकते हैं, बेला, गेंदा, तगर, पीला कनेर, आदि )
धूप निवेदन – भगवान को धूप निवेदित करें इसके लिए दियासलाई की नई सलाई प्रयोग करके जलाएँ (गुग्गुल, अगर, गुलाब आदि की धूप जलायें,(अगरबत्ती का प्रयोग न करें तो उत्तम होगा – सनातन धर्म मेँ बांस का जलाया जाना शुभ नहीं माना जाता है )
आरती – आरती के लिए शुद्ध घी का प्रयोग उत्तम है अथवा तेल से भी किया जा सकता है – कर्पूर के द्वारा भी आरती करें।आरती की थाल दाहिने हाथ मेँ लेकर देव के दाहिनी तरफ घूमायेँ और बाएँ हाथ से घंटी बजाएँ । जिस भगवान की पूजा आप कर रहे हैं उनकी आरती गॉंवे। अपने स्थान पर खड़े होकर दो बार दाहिनावर्त घूमें – परिक्रमा करें। आरती के बाद शुद्ध जल दीपक के चारो तरफ घुमा कर छोड़ दें। आरती खुद लें और सबको दें। शंख ध्वनि करें
नैवेद्य समर्पयामि – थाली मेँ नैवेद्य सजाकर भगवान को समर्पित करें – शुद्ध घी मेँ बने भोज्य पदार्थ भोग हेतु प्रस्तुत करें – गिलास मेँ पीने के लिए जल अवश्य रखें .
नैवेद्य मेँ तुलसी पत्र डाल कर थाली के चारों जल घुमायेँ ओर घंटी बजाएँ।कम से कम कोई मीठी चीज़ तो होनी ही चाहिए – मिश्री, इलायची दाना, लड्डू , पेड़ा (स्टील के बजाए तांबे के बर्तन मेँ नैवेद्य प्रस्तुत करें)
मंत्र जप व श्लोक पाठ आदि के द्वारा भगवान को प्रसन्न करें अपना अभीष्ट निवेदित करें पूजन मे हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें।