हाबड़ा स्टेशन के पास बने चर्च के सामने एक पान की दुकान है जो बनारसी सादी पत्ती का पान बेचता है। आज शाम मैं उसी दुकान पर पान खाने के लिए जा रहा था और मुझे खाना भी पैक कराना था, पान की दुकान के बगल में हिंदू होटल के नाम से एक होटल था। मैं उस पान की दुकान पर पान वाले को 10 पान लगाने को कह कर होटल का मीनू कार्ड देखने लगा। मैनें होटल वाले को एक चिकन मसाला , चार रोटी और हाफ जीरा राइस का आर्डर दिया। तभी एक ऐसी घटना घटी कि मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या भारत में सरकार तो सरकार, समाज का हर वर्ग हर व्यवसाई इन मुसलमानो का पैर धोकर पीने में लगा है। उनके जी-हजूरी में भूल जा रहे हैं कि यहाँ हिंदू भी हैं और वह भी हिंदू हैं, चंद मुल्लों की खातिर हिंदुओं की उपेक्षा।
घटना के बाद मैंने दिया हुआ आर्डर कैसिल कर दिया, दुकान ने कारण पूछा तो मैं आर्डर कैसिंल करने का साफ कारण बता, मेरे कारण बताते वहाँ खड़े दो और लोगो ने अपना दिया आर्डर कैंसिल कर दिया यह घटना तो वह दुकान कभी भूल नहीं पायेगा। मामला यह था कि जब मैं आर्डर दे रहा था उसी समय मेरे पीछे से कुछ मुसलमानों की टोली जा रही थी, दुकान का नौकर उनको देख कर हलाला चिकन बिरयानी, हलाल चिकन बिरयानी चिल्लाने लगा। वह मुसलमानों की टोली दुकान पर आ गई। दुकानदार के नौकर की बात सुन कर मेरे तन बदन में आग लग गई थी। मैं आर्डर कैंसिल करने के लिए। उसके मालिक को बोला, उसने कहा कि आपका आर्डर बन गया है। मैं पीछे खड़े लोगो की तरह इसारा करके कहा कि आपके नौकर इनको बुलाया है हलाल चिकन बिरयानी कह कर, और मैं आपके होटल का नाम हिंदू होटल देख कर यह सोच कर आया था कि यहाँ झटका चिकन मिलेगी, इस लिए मैं इसे नहीं ले सकता। आप ने जैसे आवाज़ देकर इनको बताया हमें भी बताना चाहिए था। हम नहीं लेगें।
वह दुकानदार कभी मुझे, कभी अपने नौकर को तो कभी मेरे बगल में आर्डर दिये दो और लोगों को तो कभी उन मुस्लिमों की टोली को देख रहा था।मेरे यह कहते दो और लोगों ने अपना आर्डर कैसिंल करा दिया। मैं बस उस दुकानदार से एक बात कही कि पता नहीं दुकानदार समझा कि नही मैनें कहा मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अब घातक होगी।कह कर बगल की दुकान में पान खाया और चल दिया। स्टेशन का जन आहार में खाना पैक कराया और चल दिया ट्रेन में बैठने।
यह मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति कब तक चलेगी, कब तक हम यह नहीं सोचेगें कि हिन्दूस्तान हम हिंदुओं का है। व्यवस्था इनके लिए होनी चाहिए ना कि अरब के लुटेरों के नाम, जो माँ भारती का टुकड़ा करा कर भीख में ले चुके हैं।
अखंड गहमरी 9451647845
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